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कविता--लाल गुलाब परतों में सिमटा मैं सुर्ख रंग का गुलाब नहीं मुझ जैसा दुनिया में कोई शवाब काँटों के बीच भी मैं खिलकर मुस्कुराता हूँ संघर्षों से मत डरो यही तो ...